Ask the Experts: How to Cope with Break-ups, Divorce (Hindi)

ब्रेकअप और आगे की राह: एक मनोवैज्ञानिक का नजरिया

ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के बाद दूसरा सबसे बड़ा तनाव का कारण अलग होना या तलाक होता है। मगर ऐसा ही हो ये जरूरी नहीं है यदि हम ब्रेकअप को अलग नजरिए से देख सकते हैं- जैसे इसे अगर हम सामाजिक तरीके से, समझदारी से, वास्तविकता के साथ और यहां तक कि दार्शनिक रूप से देखें तो। क्योंकि रिश्ता समाप्त होने को लेकर हमारा दृष्टिकोण यह निर्णय लेने में काफी मदद करेगा कि हम इस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं और इससे कैसे निपटते हैं। रिश्ते के टूटने पर हमें टूटने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम उसके निहितार्थ को चुन सकते हैं जिसे हम अलगाव की वजह बता सकते हैं।

सबसे पहले, प्यार और प्यार में बने रहने के अपने तथ्यों पर गौर करें तो आप देखेंगे कि प्यार के खत्म होने के दुख को कम दर्द के साथ सह सकते हैं। किसी भी अन्य भावना की तरह प्यार जन्म, विकास और मृत्यु के अधीन है। लेकिन यदि आप उन रुमानी लोगों में से हो जो यही मानते हैं कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता और चूंकि ‘हमारा खत्म हो गया, तो यह कभी भी सत्य नहीं था’ आप अपने आप को बहुत कटु और असंतुष्ट पाएंगे। हो सकता है कि आप अपने से वायदा भी करें कि “मैं फिर कभी प्यार नहीं करूंगा!”

अलगाव पर हमारे अतिप्रतिक्रियावादी हो जाने की एक वजह यह भी है कि हमने किसी भी तरह प्यार की अवधारणा को विकसित किया है और इसके साथ प्यार में हैं। हम इसको पवित्र बना देते हैं और शीर्ष स्थान पर रख देते हैं और इसकी पूजा करते हैं। और देखिए, तब क्या होता है? जब ‘प्रेम’ खत्म होता है या खत्म होने लगता है तो हम इसे इस रूप में स्वीकार नहीं कर पाते हैं और इसके खात्मे के तरह-तरह के अपुष्ट अर्थ गढ़ने लगते हैं।

प्यार से रोमांस को हटाकर (एक विडंबना) और इसे वैसे ही देखना जैसा यह है- यानी बेहद सामान्य, इसके लिए और ऐसा बने रहने के लिए जरूरत होती है बेहद कोशिशों की, और इसमें शिखर और गर्त दोनों ही सामने आएंगे- और हमारी प्रतिक्रिया मुनासिब हो सकती है ‘जब मौत भी हमें जुदा नहीं करती है’। बेशक यह दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है जब कोई जोड़ा आगे जोड़ा नहीं रह जाता है और यह अफसोसनाक और निराशाजनक है कि ऐसे रिश्ते जिनका भविष्य उज्जवल लगता था अब वह खत्म होने की कगार पर हैं। परंतु तब फिर लोग अलग होकर रहने लग जाते हैं और क्या वे प्रेमी लोग नहीं कहे जाते हैं। चीजें बदलती हैं और अगर कई बार दोहराई बात को कहा जाए तो परिवर्तन ही स्थायी भाव है। ऐसे में भावना की अराधाना क्यों न हो।

आगे का रास्ता

यह सोचते हुए कि मेरा दोष है या फिर उसका दोष है अगर आप ब्रेकअप को व्यक्तिगत तौर पर लेते हैं तो आश्वस्त हो जाइये कि आप अवसाद की स्थिति में चले जाएंगे और/या शत्रुतापूर्ण हो जाएंगे और समस्या वहीं की वहीं रह जाएगी उसका समाधान नहीं हो सकेगा।

समस्या-सुलझाने के दृष्टिकोण को अपनाइये और जुदाई के कारणों का मूल्यांकन करिये। ऐसा करने में आपकी बुद्धिमानी होगी। ब्रेकअप का मतलब आपके या अपने साथी के बारे में कुछ नहीं है। इसका मतलब यह है कि आप दोनों की अपेक्षाओं में एक असमानता थी। और अजीब तरह से, हम बहुत बुरी चीज़ों को अच्छी चीजें में बदल सकते हैं।

इसके अलावा, अलगाव से आपको चौंकाने वाली एक अच्छी बात भी आ सकती है। मिसाल के तौर पर आगे ​के रिश्तों के बारे में क्या नहीं करना है।

कैसे अपने अगले साथी की पसंद में अधिक चयनात्मक होना है। साथ ही यह समझने और स्वीकार करने का भी मौका मिलता है कि प्यार परस्पर और बराबरी से चलने वाली चीज है जिसमें अगर एक तरफ संतुलन बिगड़ा तो ब्रेकअप की नौबत तक आ जाती है। रोमांस के साथ-प्यार बहुत खूबसूरत चीज हो सकती है और तलाक कोई ऐसी तबाही वाला घटनाक्रम नहीं है!

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