पैनिक अटैक एवं पैनिक डिसऑर्डर को समझना
पैनिक अटैक अचानक होने वाले डर एवम घबराहट के अटैक होते हैं . यदि नीचे दिए गए चिन्हों में से आपको 4 या 4 से अधिक चीज़ें दस मिनट के अंदर होती हैं , तोह आपको पैनिक अटैक हो सकता हैं .
1. दिल की धड़कन बढ़ना
2. डर लगना
3. पसीना आना
4. हाथ कांपना
5. सांस फूलना
6. सांस अटकना
7. जिगर में दर्द होना
8. चक्कर आना
9. पेट दर्द होना
10. शरीर गर्म होना
11. खुद से दूर होना
12. मरने का डर
13. पागल होने का डर
14. सुन्न हो जाना
पैनिक अटैक की सबसे खतरनाक धारणा यह होती हैं की उसमे एक व्यक्ति को यह प्रतीत नहीं होता की उसके साथ क्या हो रहा हे एवं क्यों हो रहा हे . क्यूंकि यह अटैक बिना वजह के होते हे , और इनके आने का कोई वक्त नहीं होता , इसीलिए लोगों को लगता हे की या तोह उन्हें दिल का दौरा पड़ने वाला हे , या फिर वह पागलपन से मरने वाले हैं .
वह यह सोचने लगते हैं की उनके साथ कुछ भयानक या डरावना होने वाला हैं .
पैनिक डिसऑर्डर क्या हैं ?
पैनिक डिसऑर्डर तब होते हे जब एक व्यक्ति को लगातार पैनिक अटैक आतें हे , एवं उसके अंदर अटैक का भय घर करने लगता हैं .
आगार कोई व्यक्ति ऐसी स्तिथि से भाग रहा हो , तोह उसे ‘अग्रोफोबिअ ’ कहते हैं .
इसमें , एक व्यक्ति स्तिथियों का भरोसा नहीं करना चाहता हैं .
अग्रोफोबिया क्या हे ?
अग्रोफोबिया तब होता हे जब एक व्यक्ति कुछ जगह तथा स्तिथियों में रहने से डरता हे . इस डर से बचने के लिए वह निम्नलिखित चीज़ें करता हे .
-इनसे दूर रहना
-ऐसी स्तिथियों में अकेले न जा पाना
-इन स्तिथियों का डर के बावजूद सामना करना
इन लोगों को ऐसे स्तिथियों से भी डर लगता हैं जहाँ से बचना आसान न हो एवं जहाँ पर उन्हें डॉक्टर की सहायता न हो .
पैनिक अटैक तथा अग्रोफोबिया कितना प्रचलित हे ?
2% बड़ों में पैनिक अटैक तथा अग्रोफोबिया देखा गया हे . इसका मतलब हर ५० लोगों में से 1 पैनिक अटैक होने की सम्भावना दोनों पुरुषों तथा महिलाओं में सामान हे . किन्तु अग्रोफोबिअ होने की संभावना पुरुषों में महिलाओं से ज़्यादा हे . यह भी देखा गया हे की ज़रूरी नहीं की जिन लोगों को पैनिक अटैक होने की सम्भावना हैं , उन्हें हमेशा अग्रोफोबिअ होगा .
दो तरीकों से पैनिक अटैक को ठीक किया जा सकता हैं . पहला हे कॉग्निटिव बिहेवियर थ्योरी तथा दूसरा दवाइयों के साथ ठीक करा जा सकता हैं .
1. कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT)
इसके भीतर दो तरह के इलाज होते हैं . पहले में व्यक्ति का इलाज समूह में होता हे , दुसरे में इकलौता इलाज होता हैं . इसके तहत निम्न चीज़ें सिखाई जाती हैं .
-पैनिक एवं भय के विचारों के बारें में जागरूकता बढ़ाना
-पैनिक के बारे में अपने विचारों पर ध्यान देना एवं उन्हें धीरे धीरे बदलना
-उन जगहों के बारें में बताना जहाँ पैनिक बढ़ता हे
-शरीर में पैनिक के फलस्वरूप शारीरिक बदलाव के बारे में बताना
-बढ़ती सांस एवं एंग्जायटी को ठीक करने के तरीके सिखलाना
2. मेडिसिन
Antidepressants एवं बेन्ज़ोदिअज़ेपिनेस का सेवं से पैनिक एवं अग्रोफोबिया ठीक किया जा सकता हैं
परन्तु इन मेडिसिन का सेवं डॉक्टर के कहने के बाद ही करना चाहिए क्यूंकि वही सही मात्रा एवं साइड इफ़ेक्ट के बारे में बता सकते हैं
क्या इन सब से ठीक हुआ जा सकता हे ?
CBT ट्रीटमेंट के बाद 3 में से 1 व्यक्ति ठीक पाया गया हे . 6 में से 1 व्यक्ति दवाइयों से ठीक किये जातें हे . इसीलिए इस ट्रीटमेंट को दवाइयों से ज़्यादा लाभदायक माना जाता हे. कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी चरण के कई दिनों बाद भी व्यक्ति नयी चीज़ें सीखता रहता हैं एवं अपना जीवन व्यतीत करता रहता हे.
Translation by कोमल वैष्णव from this post on our mental health section, reproduced with kind permission from This Way Up, Australia, an online not-for-profit initiative of the Clinical Research Unit for Anxiety and Depression, University of New South Wales at St Vincent’s Hospital, Sydney